राजस्थान का सालाना शिक्षा बजट 38 हजार 712 करोड़ रुपए, सिर्फ शिक्षा पर खर्च हो तो तस्वीर ही बदल जाए

शिक्षा विभाग का यह भारी-भरकम बजट चौंकाता जरूर है लेकिन इससे भी ज्यादा हैरानी की बात ये है कि इस बजट में से हर स्कूल के हिस्से सालाना 25 हजार रुपए से भी कम राशि आती है।  इस बजट का करीब 85 फीसदी हिस्सा यानि 33 हजार करोड़ रुपए तो विभाग के अधिकारी-कर्मचारी और शिक्षकों के वेतन-भत्तों पर ही खर्च हो जाते हैं।


इसके बाद 63 हजार स्कूलों के इंफ्रास्ट्रक्चर, कंप्यूटर, साइंस लैब, कमरों की मरम्मत सहित अन्य सुविधाओं के लिए महज 5.7 हजार करोड़ रुपए बचते हैं। इसी का नतीजा है कि बारिश में टपकती छतें, जर्जर दीवारें, उखड़े फर्श, कबाड़ से भरे बदबूदार कमरे आज हमारी स्कूलों की नियति बन चुके हैं। कहने को शिक्षा विभाग का बजट राज्य के अन्य सभी विभागों से ज्यादा है लेकिन इसमें से यदि वेतन-भत्तों को निकाल दिया जाए तो हर छात्र को सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए सरकार सालाना 200 रुपए भी नहीं देती।


 
सरकारी आंकड़ों पर भरोसा करें तो पिछले पंद्रह साल में शिक्षा विभाग पर 2 लाख 44 हजार करोड़ से भी ज्यादा राशि खर्च हुई है लेकिन इसमें से स्कूलों में सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए कितना पैसा मिला, इसका सरकार के पास भी कोई हिसाब नहीं है। सुविधाओं के लिए तरसते स्कूलों की हालत ऐसी है कि माध्यमिक शिक्षा में 15 फीसदी और प्रारंभिक शिक्षा में 7 फीसदी बच्चे बीच में ही स्कूल छोड़ जाते हैं।